aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tasniif"
तस्ख़ीर-ए-चमन पर नाज़ाँ हैं तज़ईन-ए-चमन तो कर न सकेतसनीफ़ फ़साना करते हैं क्यूँ आप मुझे बहलाने को
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करतेअब कोई शिकवा हम नहीं करते
न पूछो हुस्न की तारीफ़ हम सेमोहब्बत जिस से हो बस वो हसीं है
दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुईलेकिन तमाम उम्र को आराम हो गया
जिन से इंसाँ को पहुँचती है हमेशा तकलीफ़उन का दावा है कि वो अस्ल ख़ुदा वाले हैं
तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गयाख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया
ऐ 'ज़ौक़' तकल्लुफ़ में है तकलीफ़ सरासरआराम में है वो जो तकल्लुफ़ नहीं करता
ज़रा इक तबस्सुम की तकलीफ़ करनाकि गुलज़ार में फूल मुरझा रहे हैं
काफ़ी नहीं ख़ुतूत किसी बात के लिएतशरीफ़ लाइएगा मुलाक़ात के लिए
शाएर को मस्त करती है तारीफ़-ए-शेर 'अमीर'सौ बोतलों का नश्शा है इस वाह वाह में
ये औरतों में तवाइफ़ तो ढूँड लेती हैंतवाइफ़ों में इन्हें औरतें नहीं मिलतीं
मोहब्बत का तक़ाज़ा है ज़रा दूरी रखी जाएबहुत नज़दीकियाँ अक्सर बड़ी तकलीफ़ देती हैं
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिस ने जहाँ बनायाकैसी ज़मीं बनाई क्या आसमाँ बनाया
आराम क्या कि जिस से हो तकलीफ़ और कोफेंको कभी न पाँव से काँटा निकाल के
है एक ही लम्हा जो कहीं वस्ल कहीं हिज्रतकलीफ़ किसी के लिए आराम किसी का
उस्ताद के एहसान का कर शुक्र 'मुनीर' आजकी अहल-ए-सुख़न ने तिरी तारीफ़ बड़ी बात
याद कर के और भी तकलीफ़ होती थी 'अदीम'भूल जाने के सिवा अब कोई भी चारा न था
महशर में इक सवाल किया था करीम नेमुझ से वहाँ भी आप की तारीफ़ हो गई
और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ 'अदम'हाँ ज़रा नब्ज़ किसी वक़्त ठहर जाती है
सुनते हैं जो बहिश्त की तारीफ़ सब दुरुस्तलेकिन ख़ुदा करे वो तिरा जल्वा-गाह हो
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