aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "therii"
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहलेख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैंतू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमेंऔर हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसेतेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
क्या सितम है कि अब तिरी सूरतग़ौर करने पे याद आती है
दिल को तिरी चाहत पे भरोसा भी बहुत हैऔर तुझ से बिछड़ जाने का डर भी नहीं जाता
इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरीलोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूदमहसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्तवो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में
तेरी सूरत से किसी की नहीं मिलती सूरतहम जहाँ में तिरी तस्वीर लिए फिरते हैं
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ सेतेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहींहाँ मुझी को ख़राब होना था
ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू सेबे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ
न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँइक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
तेरी बातें ही सुनाने आएदोस्त भी दिल ही दुखाने आए
तेरी मजबूरियाँ दुरुस्त मगरतू ने वादा किया था याद तो कर
मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाएबहुत दिनों से तबीअत मिरी उदास नहीं
ख़ुदा बचाए तिरी मस्त मस्त आँखों सेफ़रिश्ता हो तो बहक जाए आदमी क्या है
अजब तेरी है ऐ महबूब सूरतनज़र से गिर गए सब ख़ूबसूरत
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