aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "uThaa.e.n"
मुझ को ये आरज़ू वो उठाएँ नक़ाब ख़ुदउन को ये इंतिज़ार तक़ाज़ा करे कोई
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएँ बारबीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से
इस इंतिज़ार में बैठे हैं उन की महफ़िल मेंकि वो निगाह उठाएँ तो हम सलाम करें
आता है यहाँ सब को बुलंदी से गिरानावो लोग कहाँ हैं कि जो गिरतों को उठाएँ
सदमे उठाएँ रश्क के कब तक जो हो सो होया तो रक़ीब ही नहीं या आज हम नहीं
तलातुम का एहसान क्यूँ हम उठाएँहमें डूबने को किनारा बहुत है
महफ़िल-ए-याराँ में दीवानों का आलम कुछ न पूछजाम हाथों में उठाएँ तो छलकना चाहिए
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठेंवो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
दुआ को हात उठाते हुए लरज़ता हूँकभी दुआ नहीं माँगी थी माँ के होते हुए
तेरी महफ़िल से उठाता ग़ैर मुझ को क्या मजालदेखता था मैं कि तू ने भी इशारा कर दिया
अदा आई जफ़ा आई ग़ुरूर आया हिजाब आयाहज़ारों आफ़तें ले कर हसीनों पर शबाब आया
अदाएँ देखने बैठे हो क्या आईने में अपनीदिया है जिस ने तुम जैसे को दिल उस का जिगर देखो
आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ होनज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
हसीं तेरी आँखें हसीं तेरे आँसूयहीं डूब जाने को जी चाहता है
हज़ार तरह के सदमे उठाने वाले लोगन जाने क्या हुआ इक आन में बिखर से गए
दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान परदिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा
सुब्ह होते ही निकल आते हैं बाज़ार में लोगगठरियाँ सर पे उठाए हुए ईमानों की
आहटें सुन रहा हूँ यादों कीआज भी अपने इंतिज़ार में गुम
बोझ उठाना शौक़ कहाँ है मजबूरी का सौदा हैरहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं
कोई हंगामा सर-ए-बज़्म उठाया जाएकुछ किया जाए चराग़ों को बुझाया जाए
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books