aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ujaa.de"
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दोन जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोतीये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें
इरादे बाँधता हूँ सोचता हूँ तोड़ देता हूँकहीं ऐसा न हो जाए कहीं ऐसा न हो जाए
वो कौन था जो दिन के उजाले में खो गयाये चाँद किस को ढूँडने निकला है शाम से
मैं लौटने के इरादे से जा रहा हूँ मगरसफ़र सफ़र है मिरा इंतिज़ार मत करना
मैं ने माँगी थी उजाले की फ़क़त एक किरनतुम से ये किस ने कहा आग लगा दी जाए
लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार मेंकिस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में
दिल की बस्ती अजीब बस्ती हैये उजड़ने के बा'द बस्ती है
अपने क़ातिल की ज़ेहानत से परेशान हूँ मैंरोज़ इक मौत नए तर्ज़ की ईजाद करे
दीवारें छोटी होती थीं लेकिन पर्दा होता थातालों की ईजाद से पहले सिर्फ़ भरोसा होता था
आबादी भी देखी है वीराने भी देखे हैंजो उजड़े और फिर न बसे दिल वो निराली बस्ती है
सहरा को बहुत नाज़ है वीरानी पे अपनीवाक़िफ़ नहीं शायद मिरे उजड़े हुए घर से
दिल वो नगर नहीं कि फिर आबाद हो सकेपछताओगे सुनो हो ये बस्ती उजाड़ कर
क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल केकिस से मिलना है ख़ाक में मिल के
दिल की तरफ़ 'शकील' तवज्जोह ज़रूर होये घर उजड़ गया तो बसाया न जाएगा
क्यूँ तिरे दर्द को दें तोहमत-ए-वीरानी-ए-दिलज़लज़लों में तो भरे शहर उजड़ जाते हैं
कुछ न कहने से भी छिन जाता है एजाज़-ए-सुख़नज़ुल्म सहने से भी ज़ालिम की मदद होती है
'शुऊर' सिर्फ़ इरादे से कुछ नहीं होताअमल है शर्त इरादे सभी के होते हैं
अब तक न ख़बर थी मुझे उजड़े हुए घर कीवो आए तो घर बे-सर-ओ-सामाँ नज़र आया
इस क़दर मैं ने सुलगते हुए घर देखे हैंअब तो चुभने लगे आँखों में उजाले मुझ को
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