aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "vaada-e-alast"
पूरा करेंगे होली में क्या वादा-ए-विसालजिन को अभी बसंत की ऐ दिल ख़बर नहीं
जिस दिन मय-ए-अलस्त की मौज आ गई मुझेरंग दूँगा एक रंग में सारे जहाँ को में
वादा-ए-बादा-ए-अतहर का भरोसा कब तकचल के भट्टी पे पिएँ जुर'आ-ए-इरफ़ाँ कैसा
अपना दुश्मन हो अगर कुछ है शुऊरइंतिज़ार-ए-वादा-ए-फ़र्दा न कर
किसी के वादा-ए-सब्र-आज़मा की ख़ैर कि हमअब ए'तिबार की हद से गुज़रते जाते हैं
जो कहता है वो करता है बर-अक्स उस के कामहम को यक़ीं है वा'दा-ए-ना-उस्तवार का
यक़ीन-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा हमें बावर नहीं आताज़बाँ से लाख कहिए आप के तेवर नहीं कहते
दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल सेफिर तिरा वादा-ए-शब याद आया
वादा-ए-वस्ल गर किसी से नहींआप क्यूँ बे-क़रार फिरते हैं
कहना क़ासिद कि उस के जीने कावादा-ए-वस्ल पर मदार है आज
अब वादा-ए-फ़र्दा में कशिश कुछ नहीं बाक़ीदोहराई हुई बात गुज़रती है गिराँ और
फिर बैठे बैठे वादा-ए-वस्ल उस ने कर लियाफिर उठ खड़ा हुआ वही रोग इंतिज़ार का
नज़र से हद्द-ए-नज़र तक तमाम तारीकीये एहतिमाम है इक वा'दा-ए-सहर के लिए
भूलने वाले को शायद याद वादा आ गयामुझ को देखा मुस्कुराया ख़ुद-ब-ख़ुद शरमा गया
याद दिलवाइए उन को जो कभी वादा-ए-वस्लतो वो किस नाज़ से फ़रमाते हैं हम भूल गए
इस तरह ख़ुश हूँ किसी के वादा-ए-फ़र्दा पे मैंदर-हक़ीक़त जैसे मुझ को ए'तिबार आ ही गया
वादा-ए-वस्ल दिया ईद की शब हम को सनमऔर तुम जा के हुए शीर-ओ-शकर और कहीं
आज व'अदा वो फिर निभाएगावादी ओ गुल पे क्या ख़ुमारी है
वरा-ए-फ़र्रा-ए-फ़रहंग देखो रंग-ए-सुख़नअबुल-कलाम नहीं मैं अबुल-मअानी हूँ
काँटों की ज़बाँ सूख गई प्यास से या रबइक आबला-पा वादी-ए-पुर-ख़ार में आवे
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