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शेर
तलाश-ए-यार में गर्दिश को मैं तौफ़-ए-हरम समझूँ
करूँ चारों-तरफ़ सज्दे कि वो हर-सू निकलते हैं
इमदाद अली बहर
शेर
ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ से बे-नियाज़ाना निकलता है
बड़ी फ़र्ज़ानगी से तेरा दीवाना निकलता है
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
शेर
मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी
शेर
वो और होंगे जिन को है फ़िक्र-ए-ज़ियान-ओ-सूद
दुनिया से बे-नियाज़ है मेरी ग़ज़ल का रंग