आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "vasiiyat"
शेर के संबंधित परिणाम "vasiiyat"
शेर
घर की तक़्सीम वसिय्यत के मुताबिक़ होगी
फिर भी क्यों मुझ को सगे भाई से डर लगता है
मेराज अहमद मेराज
शेर
घर की तक़्सीम वसिय्यत के मुताबिक़ होगी
फिर भी क्यों मुझ को सगे भाई से डर लगता है
मेराज अहमद मेराज
शेर
ऐ 'मुसहफ़ी' तू इन से मोहब्बत न कीजियो
ज़ालिम ग़ज़ब ही होती हैं ये दिल्ली वालियाँ
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
अमीर ख़ुसरो
शेर
शब-ए-वसलत तो जाते जाते अंधा कर गई मुझ को
तुम अब बहरा करो साहब सुना कर नाम रुख़्सत का
इमदाद अली बहर
शेर
समझता हूँ वसीला मग़फ़िरत का शर्म-ए-इस्याँ को
कि अश्कों से मिरे धुल जाएगा दामान-ए-तर मेरा