aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "vikalp"
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सहीनहीं विसाल मयस्सर तो आरज़ू ही सही
शब-ए-विसाल है गुल कर दो इन चराग़ों कोख़ुशी की बज़्म में क्या काम जलने वालों का
ये आरज़ू भी बड़ी चीज़ है मगर हमदमविसाल-ए-यार फ़क़त आरज़ू की बात नहीं
ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख ऐ दोस्ततिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई
कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र ओ विसालअभी तो लोग तरसते हैं ज़िंदगी के लिए
मुझ को अक्सर उदास करती हैएक तस्वीर मुस्कुराती हुई
हज़ार रुख़ तिरे मिलने के हैं न मिलने मेंकिसे फ़िराक़ कहूँ और किसे विसाल कहूँ
इरादा तो नहीं है ख़ुद-कुशी कामगर मैं ज़िंदगी से ख़ुश नहीं हूँ
'फ़राज़' इश्क़ की दुनिया तो ख़ूब-सूरत थीये किस ने फ़ित्ना-ए-हिज्र-ओ-विसाल रक्खा है
एक बरस और बीत गयाकब तक ख़ाक उड़ानी है
मुद्दतें हो गईं हिसाब किएक्या पता कितने रह गए हैं हम
उदासी कर रही है रक़्स-ए-हिजरतहमेशा के लिए वो जा रहा है
मैं एक से किसी मौसम में रह नहीं सकताकभी विसाल कभी हिज्र से रिहाई दे
तिरा वस्ल है मुझे बे-ख़ुदी तिरा हिज्र है मुझे आगहीतिरा वस्ल मुझ को फ़िराक़ है तिरा हिज्र मुझ को विसाल है
विसाल-ए-यार की ख़्वाहिश में अक्सरचराग़-ए-शाम से पहले जला हूँ
न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम न इधर के हुए न उधर के हुएरहे दिल में हमारे ये रंज-ओ-अलम न इधर के हुए न उधर के हुए
इक रात दिल-जलों को ये ऐश-विसाल देफिर चाहे आसमान जहन्नम में डाल दे
तिरे विसाल की कब आरज़ू रही दिल कोकि हम ने चाहा तुझे शौक़-ए-बे-सबब के लिए
कौन तहलील हुआ है मुझ मेंमुंतशिर क्यूँ हैं अनासिर मेरे
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books