aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "waseem"
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसेतेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे
जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगाकिसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता
तुझे पाने की कोशिश में कुछ इतना खो चुका हूँ मैंकि तू मिल भी अगर जाए तो अब मिलने का ग़म होगा
वो झूट बोल रहा था बड़े सलीक़े सेमैं ए'तिबार न करता तो और क्या करता
रात तो वक़्त की पाबंद है ढल जाएगीदेखना ये है चराग़ों का सफ़र कितना है
आसमाँ इतनी बुलंदी पे जो इतराता हैभूल जाता है ज़मीं से ही नज़र आता है
दुख अपना अगर हम को बताना नहीं आतातुम को भी तो अंदाज़ा लगाना नहीं आता
वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाएऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैंइतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं
तुम आ गए हो तो कुछ चाँदनी सी बातें होंज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है
आते आते मिरा नाम सा रह गयाउस के होंटों पे कुछ काँपता रह गया
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथकीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ
मुसलसल हादसों से बस मुझे इतनी शिकायत हैकि ये आँसू बहाने की भी तो मोहलत नहीं देते
मोहब्बत में बिछड़ने का हुनर सब को नहीं आताकिसी को छोड़ना हो तो मुलाक़ातें बड़ी करना
वो दिन गए कि मोहब्बत थी जान की बाज़ीकिसी से अब कोई बिछड़े तो मर नहीं जाता
तुम मेरी तरफ़ देखना छोड़ो तो बताऊँहर शख़्स तुम्हारी ही तरफ़ देख रहा है
ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहींतेरा होना भी नहीं और तिरा कहलाना भी
फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैंकाँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिलउदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
मैं ने चाहा है तुझे आम से इंसाँ की तरहतू मिरा ख़्वाब नहीं है जो बिखर जाएगा
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