aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "yaasmii.n"
एक दीवार उठाई थी बड़ी उजलत मेंवही दीवार गिराने में बहुत देर लगी
जिस सम्त की हवा है उसी सम्त चल पड़ेंजब कुछ न हो सका तो यही फ़ैसला किया
मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रहीचराग़ बुझ भी गया रौशनी सफ़र में रही
हमें भी तजरबा है बे-घरी का छत न होने कादरिंदे, बिजलियाँ, काली घटाएँ शोर करती हैं
अपनी निगाह पर भी करूँ ए'तिबार क्याकिस मान पर कहूँ वो मिरा इंतिख़ाब था
पर्दा आँखों से हटाने में बहुत देर लगीहमें दुनिया नज़र आने में बहुत देर लगी
जो चला गया सो चला गया जो है पास उस का ख़याल रखजो लुटा दिया उसे भूल जा जो बचा है उस को सँभाल रख
ख़ुशी के दौर तो मेहमाँ थे आते जाते रहेउदासी थी कि हमेशा हमारे घर में रही
हमें ख़बर थी बचाने का उस में यारा नहींसो हम भी डूब गए और उसे पुकारा नहीं
उस इमारत को गिरा दो जो नज़र आती हैमिरे अंदर जो खंडर है उसे तामीर करो
ये क्या तिलिस्म है ये किस की यासमीं बाँहेंछिड़क गई हैं जहाँ-दर-जहाँ गुलाब के फूल
समुंदर हो तो उस में डूब जाना भी रवा हैमगर दरियाओं को तो पार करना चाहिए था
उस के शिकस्ता वार का भी रख लिया भरमये क़र्ज़ हम ने ज़ख़्म की सूरत अदा किया
आते रहते हैं फ़लक से भी इशारे कुछ न कुछबात कर लेते हैं हम से चाँद तारे कुछ न कुछ
ज़रा धीमी हो तो ख़ुशबू भी भली लगती हैआँख को रंग भी सारे नहीं अच्छे लगते
ये कमरा और ये गर्द-ओ-ग़ुबार उस का हैवो जिस ने आना नहीं इंतिज़ार उस का है
ख़ुद अपना साथ भी चुभने लगा थाअजब तन्हाई की आदत हुई थी
अगर इतनी मुक़द्दम थी ज़रूरत रौशनी कीतो फिर साए से अपने प्यार करना चाहिए था
किसी के नर्म लहजे का क़रीनामिरी आवाज़ में शामिल रहा है
रस्ते से मिरी जंग भी जारी है अभी तकऔर पाँव तले ज़ख़्म की वहशत भी वही है
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