aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "रागनी"
मैं ग़म की रागनी बे-वक़्त भी अगर छेड़ूँज़बान-ए-वक़्त मुझे वक़्त का इमाम कहे
तू एक साज़ है छेड़ा नहीं किसी ने जिसेतिरे बदन में छुपी नर्म रागनी की क़सम
उस नज़र की उस बदन की गुनगुनाहट तो सुनोएक सी होती है हर इक रागनी ये मत कहो
रज़्म-गाह-ए-जहाँ बन गई जा-ए-अमन-ओ-अमाँहै यही वक़्त की रागनी सो रहो सो रहो
गुनगुनाता था शब के पिछले पहरजाने किस दिल की रागनी थी मैं
इक तिनका आशियाना इक रागनी असासाइक मौसम-ए-बहाराँ मेहमान दो घड़ी का
हो चुके 'हाली' ग़ज़ल-ख़्वानी के दिनरागनी बे-वक़्त की अब गाएँ क्या
शब-ए-ग़म की ये रागनी बन मेंबाँसुरी जैसी ताल रखती है
फिर तिरी आवाज़ के धोके में खिड़की तक गएझाँक कर देखा परिंदा रागनी गाए कोई
प्यार की रागनी अनोखी हैउस में लगती हैं सब सुरें कोमल
लब तिरे पंखुड़ी से मिलते हैंबोल इक रागनी से मिलते हैं
एक अंगड़ाई से दो-आलम कोरागनी में झुला रहा है ये कौन
बज़्म-ए-ऐश-ओ-नशात हो गई ख़त्मअब कहाँ रागनी कहाँ वो राग
नसीम-ए-सुब्ह ने आ कर वो रागनी छेड़ीहर एक फूल ने काँटे को झुक के प्यार किया
ख़िज़ाँ के ज़हर का तिरयाक अगर नहीं यारोगुलों की बात है बे-वक़्त रागनी की तरह
सुनाई दे रही हैं सिसकियाँ अबसुहानी रागनी चुप हो गई है
वक़्त की रागनी गीत गाती रहीऔर मैं गीत की धुन बनाती रही
छेड़ बैठा वक़्त अपनी रागनीसाज़ पर जब आप का क़ब्ज़ा हुआ
चाशनी सी घुलती थी जब वो गुनगुनाती थीरागनी सी लड़की थी बाँसुरी सी लड़की थी
तेरे ही दुख की छेड़ी गई रागनी हूँ मैंतेरा ही राग धुन में पिरोता रहा मुझे
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