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ग़ज़ल
ऐ इश्क़ ये सब दुनिया वाले बे-कार की बातें करते हैं
पायल के ग़मों का इल्म नहीं झंकार की बातें करते हैं
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
यूँ सजा चाँद कि झलका तिरे अंदाज़ का रंग
यूँ फ़ज़ा महकी कि बदला मिरे हमराज़ का रंग
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
नई रुतों के झमेले हों उस का ज़ाद-ए-सफ़र
शिकस्त-ए-अर्ज़-ए-तमन्ना पे गुनगुनाऊँ मैं
अनवर महमूद खालिद
ग़ज़ल
हम से बे-बहरा हुई अब जरस-ए-गुल की सदा
वर्ना वाक़िफ़ थे हर इक रंग की झंकार से हम