aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "lahar"
दुख की लहर ने छेड़ा होगायाद ने कंकर फेंका होगा
छोटी-मोटी एक लहर ही थी मेरे अंदरएक लहर से क्या तूफ़ान उठा सकता था मैं
वो लहर हूँ जो प्यास बुझाए ज़मीन कीचमके जो आसमाँ पे वो पत्थर नहीं हूँ मैं
एक ही लहर न संभली वर्नामैं तूफ़ानों से खेला था
बात है कुछ ज़िंदा रह जाना भी अपना आज तकलहर थी आसूदगी की भी परेशानी के साथ
कोई आबशार न आब-ए-जू किसी और लहर की आरज़ूमिरी प्यास बुझने का और कोई ठिकाना हो कहीं यूँ न हो
इक लहर उस की आँख में है हौसला-शिकनइक रंग उस के चेहरे पे बहकाने वाला है
उन झील सी गहरी आँखों मेंइक लहर सी हर दम रहती है
क़िस्मत तो देख शैख़ को जब लहर आई तबदरवाज़ा शीरा ख़ाने का मा'मूर हो गया
आब ओ ख़ाक ओ बाद में भी लहर वो आ जाए हैसुर्ख़ कर देती है दम भर में जो पीली धात को
अब जो लहर है पल भर बाद नहीं होगी यानीइक दरिया में दूसरी बार उतरा नहीं जा सकता
हयात-ए-दाइमी की लहर है इस ज़िंदगानी मेंअगर मरने से पहले बन पड़े तो 'जोश' मर जाए
इसी से रौनक़-ए-दरिया-ए-दिल हैयही इक लहर तूफ़ानी रहेगी
इक लहर है कि मुझ में उछलने को है 'ज़फ़र'इक लफ़्ज़ है कि मुझ से अदा होने वाला है
उर्यां है सारा शहर चली यूँ हवस की लहरतुझ को छुपा रहा हूँ मैं तन्हाइयों में भी
चारों ओर समंदर बढ़ती चिंता हैलहर लहर लहराती कश्ती हम दोनों
तेज़ धूप में आई ऐसी लहर सर्दी कीमोम का हर इक पुतला बच गया पिघलने से
अभी इक लहर थी जिस को गुज़रना था सरों सेअभी इक लफ़्ज़ था में और अदा होना था मुझ को
इन्हीं हदों तक उभरती ये लहर जिस में हूँ मैंअगर मैं सब ये समुंदर भी वक़्त का रखता
वो याद के साहिल पर सारे मोती बिखराए बैठी थीइक लहर लहू में उट्ठी थी मुझे ताज़ा-दम करने के लिए
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