aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "''fariiha"
हम तोहफ़े में घड़ियाँ तो दे देते हैंइक दूजे को वक़्त नहीं दे पाते हैं
तुम्हें पाने की हैसिय्यत नहीं हैमगर खोने की भी हिम्मत नहीं है
हम एक शहर में जब साँस ले रहे होंगेहमारे बीच ज़मानों के फ़ासले होंगे
वो अगर अब भी कोई अहद निभाना चाहेदिल का दरवाज़ा खुला है जो वो आना चाहे
ऐ मिरी ज़ात के सुकूँ आ जाथम न जाए कहीं जुनूँ आ जा
इसे भी छोड़ूँ उसे भी छोड़ूँ तुम्हें सभी से ही मसअला है?मिरी समझ से तो बाला-तर है ये प्यार है या मुआहिदा है
किसी का देख के धीमे से मुस्कुरा देनाकिसी के वास्ते कुल काएनात होती है
खुल कर आख़िर जहल का एलान होना चाहिएहक़-परस्तों के लिए ज़िंदान होना चाहिए
कुछ 'जौन' क़बीले से नहीं तेरा तअल्लुक़हर लड़की यहाँ फ़ारिहा-ज़ादी है चला जा
मिरे लफ़्ज़ों को ख़यालों से जिला देता हैकौन है वो जो मुझे मुझ से मिला देता है
लाख दिल ने पुकारना चाहामैं ने फिर भी तुम्हें नहीं रोका
कोई ऐसा तरीक़ा बता तेरी आवाज़ को चूम लूँउफ़ ये तेरा ''फ़रीहा! मिरी जान'' कह कर बुलाना मुझे
उसे भूलने का सितम कर रहे हैंहम अपनी अज़िय्यत को कम कर रहे हैं
ज़ात की तीरगी का नौहा हैंशे'र क्या हैं दरूँ का गिर्या हैं
हाथों में रस्सियाँ हैंपैरों में बेड़ियाँ हैं
खो देने का दिल भरने का थक जाने का ख़ौफ़एक तिरे होने से चक्खा कैसा कैसा ख़ौफ़
बीते ख़्वाब की आदी आँखें कौन उन्हें समझाएहर आहट पर दिल यूँ धड़के जैसे तुम हो आए
शनासाई का सिलसिला देखती हूँये तुम हो कि मैं आइना देखती हूँ
उस ने पास आ के 'फ़रीहे' बोलागिर गई हाथ से फ़ाइल मेरे
अब तू कीचड़ उठा और फ़सीलों पे मलइस से बढ़ के तिरी इस्तिताअत नहीं
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