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ग़ज़ल
चुप रह कर इज़हार किया है कह सकते तो 'आनस'
एक अलाहिदा तर्ज़-ए-सुख़न का तुझ को बानी कहते
आनिस मुईन
ग़ज़ल
बुरे लोगों की रूहें यूँ फ़रिश्ता खींच लेता है
कि जैसे कोई काँटों पर से कपड़ा खींच लेता है