aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'bajaaj'"
न खोना और न पाना चाहिए थामुझे कुछ दरमियाना चाहिए था
फूल कलियों का ज़िक्र कर के 'बजाज'दास्ताँ तेरी ही सुनाई है
शिकस्ता-दिल सजाया जा रहा हैलहू से गुल बनाया जा रहा है
ये उन की आँखों में अक्सर दिखाई देता हैकि हम को आप से बेहतर दिखाई देता है
गुफ़्तुगू एक पल रुकी भी नहींबात करनी थी जो हुई भी नहीं
कहानी इश्क़ की या'नी यही हैयही है आग और पानी यही है
किस को किस का साथ निभाना होता हैवक़्त की रौ का सिर्फ़ बहाना होता है
हम प्यास के मारों का इस तरह गुज़ारा हैआँखों में नदी लेकिन हाथों में किनारा है
न ज़मीन थी हमारी न ही आसमाँ हमारामिले आप जब हुआ है ये जहाँ जहाँ हमारा
फ़ितरतन लाज़िम है हम पर पहले पानी ढूँढनाप्यास बुझ जाए तो फिर तिश्ना-दहानी ढूँढना
इक ख़्वाब मुसलसल था कि खुलता ही नहीं थाक्या पेड़ था जिस का कोई साया ही नहीं था
बे-इंतिहा हो क़ुर्ब मगर इस क़दर न होहम जिस पे मर रहे हैं उसी को ख़बर न हो
'बजाज' उन को जो रोकेगा ज़मानावो ख़्वाबों में मुदाम आते रहेंगे
दिल है बेताब इल्तिजा के लिएछेड़ दो बात इब्तिदा के लिए
वही सफ़र जो पस-ए-कारवाँ नहीं होतामिरा सफ़र है कभी राएगाँ नहीं होता
क्या कोई समझे मिरे हालात जब कहता हूँ मैंइक मुसलसल रौशनी के साए में रहता हूँ मैं
बाग़बाँ इतना तो नादान नहीं हो सकताकोई इक फूल गुलिस्तान नहीं हो सकता
मस्त-ओ-बे-ख़ुद सा है 'बजाज' कोईउस का अंदाज़-ए-ज़िंदगी देखें
कैसा जादू कैसा फ़ित्ना ध्यान में रक्खा गयादिल में क्या आया कि दिल इंसान में रक्खा गया
'अमित-बजाज' कोई डर को जीत पाया क्यावो कामयाब हैं जो अपना डर समझते हैं
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