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ग़ज़ल
भरे हुए जाम पर सुराही का सर झुका तो बुरा लगेगा
जिसे तेरी आरज़ू नहीं तू उसे मिला तो बुरा लगेगा
ज़ुबैर अली ताबिश
ग़ज़ल
बिछड़ते दामनों में फूल की कुछ पत्तियाँ रख दो
तअल्लुक़ की गिराँबारी में थोड़ी नर्मियाँ रख दो
ज़ुबैर रिज़वी
ग़ज़ल
मुझे तुम शोहरतों के दरमियाँ गुमनाम लिख देना
जहाँ दरिया मिले बे-आब मेरा नाम लिख देना