aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",AyRb"
फेंक आए थे मुझ को भी मिरे भाई कुएँ मेंमैं सब्र में भी हज़रत-ए-अय्यूब रहा हूँ
ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए-उयूब-ए-बरहनगीमैं वर्ना हर लिबास में नंग-ए-वजूद था
कहाँ से लाऊँ सब्र-ए-हज़रत-ए-अय्यूब ऐ साक़ीख़ुम आएगा सुराही आएगी तब जाम आएगा
अगर वो ख़ुद ही बिछड़ जाने की दुआ करेगातो उस से बढ़ के मिरे साथ कोई क्या करेगा
ताक़त अब ताक़ हुई सब्र-ओ-शकेबाई कीकब तलक सब्र करे दिल मिरा अय्यूब न था
तुम से आता नहीं जुदा होनातुम मिरी आख़िरी सज़ा होना
कुछ बात रह गई थी बताने के बावजूदहूँ हालत-ए-सफ़र में घर आने के बावजूद
ये बन-सँवर के मिरी सादगी में लौट आएमिरे ख़याल मिरी शाइ'री में लौट आए
बात ये तेरे सिवा और भला किस से करेंतू जफ़ा-कार हुआ है तो वफ़ा किस से करें
ज़ब्त करना न कभी ज़ब्त में वहशत करनाइतना आसाँ भी नहीं तुझ से मोहब्बत करना
सात सुरों का बहता दरिया तेरे नामहर सुर में है रंग-धनक का तेरे नाम
दर्द में मेरे कमी आ जाएइतना रो लूँ कि हँसी आ जाए
यूँ भी रास आई नहीं उस की वफ़ा तुम रख लोमुझ को बीमार ही रहने दो दवा तुम रख लो
किसी के हिज्र को ऐसे मना रहे थे हमघड़ी में वक़्त को उल्टा घुमा रहे थे हम
आँख में ख़्वाब नहीं ख़्वाब का सानी भी नहींकुंज-ए-लब में कोई पहली सी कहानी भी नहीं
मेरी सी तरह इश्क़ से होता कभी बेताबएजाज़-नुमा सब्र का अय्यूब न होता
इक नई दास्ताँ सुनाने दोआज की नींद फिर गँवाने दो
ख़ुशी में यूँ इज़ाफ़ा कर लिया हैबहुत सा ग़म इकट्ठा कर लिया है
ख़त्म तेरी याद का हर सिलसिला कैसे करूँदूर रह कर मैं तुझे ख़ुद से जुदा कैसे करूँ
वो अब दिल से तुम्हारे जा रहा हैतुम्हें उस का ख़याल अब आ रहा है
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