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ग़ज़ल
साकिन हैं जोश-ए-अश्क से आब-ए-रवाँ में हम
रहते हैं मिस्ल-ए-मर्दुम-ए-आबी जहाँ में हम
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
गोया फ़क़ीर मोहम्मद
ग़ज़ल
यही रोना है फ़ुर्क़त में तो जाँ आँखों से निकलेगी
है मुर्ग़-ए-आबी उड़ने के लिए तय्यार पानी में
हातिम अली मेहर
ग़ज़ल
हम ने तो काट ली है सज़ा आप ख़ुश रहें
महफ़ूज़ तुम को रक्खे ख़ुदा आप ख़ुश रहें
पुरुषोत्तम अब्बी आज़र
ग़ज़ल
आप की संगत का ये अंदाज़ मन को भा गया
गर्दिश-ए-दौराँ में हम को मुस्कुराना आ गया
पुरुषोत्तम अब्बी आज़र
ग़ज़ल
है अक्स इस चश्म-ए-पुर-नम में किसी आबी दुपट्टे का
बनाया है मकाँ हम ने अजब पानी में पानी का
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
अब्र है गिर्यां किस के लिए मल्बूस सियह है क्यूँ इस का
सोग-नशीं किस का है फ़लक क्या वज्ह अबा-ए-आबी की
आग़ा हज्जू शरफ़
ग़ज़ल
तरह ओले की जो ख़िल्क़त में हम आबी होते
अपने ही वास्ते बुनियाद-ए-ख़राबी होते