आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",ITre"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ",iTre"
ग़ज़ल
अहमद सलमान
ग़ज़ल
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर
ग़ज़ल
हम को सारी रात जगाया जलते बुझते तारों ने
हम क्यूँ उन के दर पर उतरे कितने और ठिकाने थे
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
वो लोग जिन्हें कल तक दावा था रिफ़ाक़त का
तज़लील पे उतरे हैं अपनों ही के नामों की