आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",T9ai"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ",T9ai"
ग़ज़ल
जिस्म की बात नहीं थी उन के दिल तक जाना था
लम्बी दूरी तय करने में वक़्त तो लगता है
हस्तीमल हस्ती
ग़ज़ल
मुझ ऐसे लोगों का टेढ़-पन क़ुदरती है सो ए'तिराज़ कैसा
शदीद नम ख़ाक से जो पैकर बनेगा ये तय है ख़म बनेगा
उमैर नजमी
ग़ज़ल
'अख़्तर' दयार-ए-हुस्न में पहुँचे हैं मर के हम
क्यूँ-कर हुआ है तय ये सफ़र कुछ न पूछिए