आपकी खोज से संबंधित
परिणाम ",XxNe"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम ",xxne"
ग़ज़ल
और भी सीना कसने लगता और कमर बल खा जाती
जब भी उस के पाँव फिसलने लगते थे ढलवानों पर
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
सलाम नज्मी
ग़ज़ल
मिरी आह ने जो खोली ये क़ुशून-ए-अश्क बैरक़
वहीं बर्क़-ओ-रा'द ले कर इलम۔ए۔सहाब उल्टा