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ग़ज़ल
आख़िरश कौन हुआ नाला-कुनाँ आख़िर-ए-शब
चीख़ उठा दर्द से हर पीर-ओ-जवाँ आख़िर-ए-शब
नियाज़ सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
याद का फिर कोई दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब
दिल में बिखरी कोई ख़ुशबू-ए-क़बा आख़िर-ए-शब
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़ज़ल
आख़िर-ए-शब भी किसी ख़्वाब की उम्मीद में हूँ
इक नई सुब्ह नए दिन नए ख़ुर्शीद में हूँ
इसहाक़ अतहर सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
हम से पूछा क्या बीती है आख़िर-ए-शब के मारों पर
सहरा सहरा रंग बिखेरे रक़्स किया अँगारों पर
इशरत क़ादरी
ग़ज़ल
बढ़ती जाती है ख़यालों की थकन आख़िर-ए-शब
टूटने लगते हैं यादों के बदन आख़िर-ए-शब
मीर नक़ी अली ख़ान साक़िब
ग़ज़ल
जब दुखे दिल से निकलती है दु'आ आख़िर-ए-शब
काँप उठती है ज़माने की जफ़ा आख़िर-ए-शब