aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "احتساب_نفس"
कहाँ से एहतिसाब-ए-नफ़्स होगाहिसाब-ए-दोस्ताँ बे-बाक़ है वो
हल्क़ा-ए-दीगराँ में शामिल तुमकूचा-ए-क़ातिलाँ में शामिल तुम
क़दम-क़दम पे यहाँ लग़्ज़िशों के साए हैंनफ़स-नफ़स पे भला एहतिसाब क्या करते
साँसों का इज़्तिराब है भटके वजूद मेंहर लम्हा एहतिसाब है भटके वजूद में
वही रिवायत गज़ीदा-दानिश वही हिकायत किताब वालीरही हैं बस ज़ेर-ए-दर्स तेरे किताबें पिछले निसाब वाली
मैं हिजाब-ए-गुमाँ तू हिजाब-ए-यक़ींलिख मिरी रूह पर इज़्तिराब-ए-यक़ीं
दिल की चाहत को आफ़्ताब करोअपनी सीरत को माहताब करो
वो एहतियात का आलम पस-ए-सवाल कोईबचा है रात के हमले से बाल बाल कोई
आप का एहतिराम करता हूँदिल से ये एहतिमाम करता हूँ
नफ़स नफ़स इज़्तिराब में थामैं हल्क़ा-ए-सद-इताब में था
नफ़स नफ़स इज़्तिराब सा कुछहै ज़िंदगी या अज़ाब सा कुछ
तिरे ख़याल ने एहसान ला-जवाब कियानफ़स नफ़स को मिरे वक़्फ़-ए-इज़्तिराब किया
शु'ऊर-ओ-फ़िक्र के ऐसे 'इताब टूटते हैंखिले बग़ैर ही दिल के गुलाब टूटते हैं
मिलते हैं मुस्कुरा के अगरचे तमाम लोगमर मर के जी रहे हैं मगर सुब्ह-ओ-शाम लोग
दास्तान-ए-शबाब क्या कहिएनित-नया इंक़िलाब क्या कहिए
नफ़स के लोच में रम ही नहीं कुछ और भी हैहयात साग़र-ए-सम ही नहीं कुछ और भी है
यूँही रहा जो बुतों पर निसार दिल मेराकरेगा मुझ को ज़माने में ख़्वार दिल मेरा
लब-ए-फ़ुरात कहाँ हम क़ियाम करते हैंकि हम तो तिश्ना-लबी को सलाम करते हैं
जब भी उन से कलाम होता हैहर सुख़न ना-तमाम होता है
नफ़स नफ़स में तिरा एहतिराम ले के चलेजहाँ जहाँ भी चले तेरा नाम ले के चले
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