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ग़ज़ल
अज़्म बहज़ाद
ग़ज़ल
पहले तो चौपाल में अपना जिस्म चटख़्ता रहता था
चल निकली जब बात सफ़र की फैल गई आ'साब में चुप
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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पहले तो चौपाल में अपना जिस्म चटख़्ता रहता था
चल निकली जब बात सफ़र की फैल गई आ'साब में चुप