aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "اناج"
हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी होअगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी हो
सच नहीं है अनाज की क़िल्लतयार फ़ाक़े यहाँ ज़मीर के हैं
सलाम भूक को उन की करो जिन्हों ने कभीबचाए रक्खा था थोड़ा अनाज बोने को
जब्र-ए-शही का सिर्फ़ बग़ावत इलाज हैअपना अज़ल से एक हुसैनी मिज़ाज है
दिल-कुशादा भी हैं उन्ही के जोसर पे ग़ुर्बत का ताज रखते हैं
'अंजुम' को हाफ़िज़े पे बहुत अपने नाज़ हैखाता है किस अनाज के दाने पता करो
निर्ख़ है भाव और ग़ल्ला अनाजसस्ता अर्ज़ां है सूक़ है बाज़ार
मख़्सूस हो चुकी हैं इरादी ग़ुलामियाँहै इक अनार सैकड़ों बीमार आज-कल
मिरी कमर पे लदा है अनाज बच्चों कावो बोझ है कि उठाया हुआ नहीं लगता
पुर्वाई में नार ओसाए खेत में अपने अनाजपायल में है रात की ठंडक कंगन कंगन धूप
तिश्नगी ही शराब को जानेभूक क्या है अनाज क्या समझे
हुस्न-ए-मग़रूर ओ सियह-फ़ाम का कैसे हो इलाजशक्ल-ओ-सूरत तो चुड़ेलों की है परियों के मिज़ाज
ग़ुबार-ओ-ख़ाक में वो सब बदल गए 'क़ुदसी'जवाहरात का घर भर अनाज पहले था
जो छाज था अनाज का उलट गयाग़िज़ा भी घर में शाम की नहीं रही
इस दौर-ए-मुफ़्लिसी का हम ने 'इलाज देखासारे सुख़नवरों को आशिक़-मिज़ाज देखा
लूट ले कोई इज़्ज़त-ओ-इस्मतऔर दे दे अनाज मुट्ठी भर
बेदार की निगाह में कल और आज क्यालम्हों से बे-नियाज़ का कोई इलाज क्या
अनाज बाँटते फिरते हैं अब वो बस्ती मेंजो ख़ैर-ओ-शर में यक़ीनन न इम्तियाज़ करें
इस दौर-ए-मुफ़्लिसी का हम ने 'इलाज देखासारे सुख़नवरों को ‘आशिक़-मिज़ाज देखा
तो क्या ये रूपिया लुक़्मा बना के खाओगेअनाज होता है पैदा जनाब खेतों में
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