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ग़ज़ल
गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
न कर तक़लीद ऐ जिबरील मेरे जज़्ब-ओ-मस्ती की
तन-आसाँ अर्शियों को ज़िक्र ओ तस्बीह ओ तवाफ़ औला
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
सोचता हूँ ऊला मिसरा जब कभी 'नायाब' मैं
ख़ुद को लिखवाता है बढ़ कर मिस्रा-ए-सानी मुझे
जहाँगीर नायाब
ग़ज़ल
ये मत पूछो इस दुनिया ने कौन से अब त्यौहार दिए
दी हम को अंधी दीवाली ख़ून की होली बाबू-जी