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ग़ज़ल
पी लिया जाम-ए-शहादत सारे अहल-ए-बैत ने
पर यज़ीदी लश्करों को रहम तक आया नहीं
सय्यद महमूद अालम रहबर
ग़ज़ल
सब्र की और ज़ब्त की ये मंज़िलें हैं आख़िरी
अज़्म अहल-ए-बैत का क्या देखती है कर्बला
नुज़हत अब्बासी
ग़ज़ल
आज मधुर है लहजा तेरा बोल सुहाने तेरे 'अयाज़'
आज ग़ज़ल में बात नई है बात नई तू कहता चल
आयाज़ रसूल नाज़की
ग़ज़ल
बरसों से ख़यालों में इक छोटी कहानी है
हर बात नई लेकिन इक बात पुरानी है