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ग़ज़ल
जिस चीज़ से तुझ को निस्बत है जिस चीज़ की तुझ को चाहत है
वो सोना है वो हीरा है वो माटी हो या कंकर हो
इब्न-ए-इंशा
ग़ज़ल
इक ज़रा ढेर में कूड़े के भी छुप कर देखें
लोग हीरा हमें समझे हैं कि पत्थर देखें
अज़ीज़ बानो दाराब वफ़ा
ग़ज़ल
वो कोठे का मकाँ वो काली आँधी वो सनम गुल-रू
अजब रंगों की ठहरी आ के हेरा-फेर आँधी में
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
अतहर नफ़ीस
ग़ज़ल
कोई हीरा कोई मोती वो फूलों से सजा बिस्तर
बताओ दाम क्या पाए हो अपनी मुँह-दिखाई के
ज्ञानेंद्र विक्रम
ग़ज़ल
हीरालाल यादव हीरा
ग़ज़ल
फिर भी मेरी बाँहों की ख़ुशबू हर डाल पे लचकेगी
हर तारा हीरा सा लगेगा मुझ को मेरे कंगन का