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ग़ज़ल
पूछे है क्या हलावत-ए-तलख़ाबा-ए-सरिश्क
शर्बत है बाग़-ए-ख़ुल्द-ए-बरीं के अनार का
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
चावड़ी क़ाफ़ है या ख़ुल्द-ए-बरीं है 'रासिख़'
जमघटे हूरों के परियों के परे मिलते हैं
रासिख़ दहलवी
ग़ज़ल
तख़्लीक़ कर के ख़ुल्द-ए-बरीं के लिए मिरी
ख़ालिक़ ने पहले ज़ीनत-ए-दुनिया किया मुझे
मुज़फ़्फ़र ईरज
ग़ज़ल
गर इश्क़ की ताक़त को कोई लाए अमल में
दुनिया में बना सकता है वो ख़ुल्द-ए-बरीं और
अज़ीज़ मुरादाबादी
ग़ज़ल
किस तरह चला जाऊँ तिरी ख़ुल्द में वा'इज़
गो ठीक है ये ख़ुल्द-ए-बरीं है वो नहीं है
दानियाल हैदर जाफ़री
ग़ज़ल
'ख़ार' है जल्वा-ए-अस्नाम से दिल ख़ुल्द-ए-बरीं
या परी-ज़ादों का मजमा' है परी-ख़ाने में