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ग़ज़ल
अहमद हुसैन माइल
ग़ज़ल
हर सुब्ह आवता है तेरी बराबरी को
क्या दिन लगे हैं देखो ख़ुर्शीद-ए-ख़ावरी को
ख़ान आरज़ू सिराजुद्दीन अली
ग़ज़ल
करे कौन उस से बराबरी मह-ओ-ज़ोहरा सब को थी हम-सरी
दम-ए-सुब्ह देख सितमगरी रुख़-ए-महर ज़र्रा-मिसाल था