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ग़ज़ल
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
नफ़रतों के जहान में हम को प्यार की बस्तियाँ बसानी हैं
दूर रहना कोई कमाल नहीं पास आओ तो कोई बात बने
साहिर लुधियानवी
ग़ज़ल
हज़ारों बस्तियाँ आ जाएँगी तूफ़ान की ज़द में
मिरी आँखों में अब आँसू नहीं सैलाब रहता है
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
है ये वजूद की नुमूद अपनी नफ़स नफ़स गुरेज़
वक़्त की सारी बस्तियाँ अपनी हज़ीमतों में हैं
जौन एलिया
ग़ज़ल
साहिलों की बस्तियाँ ये देख कर ख़ामोश क्यूँ हैं
बस्तियों के फैलने से ही नदी कम हो रही है
फ़रहत एहसास
ग़ज़ल
नफ़रतों के जहाँ में हम को प्यार की बस्तियाँ बसानी है
दूर रहना कोई कमाल नहीं पास आओ तो कोई बात बने