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ग़ज़ल
सिर्फ़ लफ़्ज़ों को नहीं अंदाज़ भी अच्छा रखो
इस जगत में सिर्फ़ मीठी बोलियाँ रह जाएँगी
आदर्श दुबे
ग़ज़ल
बोलियाँ ज़माने की मुख़्तलिफ़ तो होती हैं
लफ़्ज़ प्यार के लेकिन हर ज़बाँ में निकलेंगे
अदीम हाशमी
ग़ज़ल
न वो मह-जबीनों की टोलियाँ न वो रंग रंग की बोलियाँ
न मोहब्बतों की वो बाज़ियाँ कभी जीतते कभी हारते
हसन रिज़वी
ग़ज़ल
क्या दिल को अच्छी लगती हैं इन ख़ुश-क़दों की आह
ये प्यारी प्यारी बोलियाँ ये गातें ठीक-ठीक
नज़ीर अकबराबादी
ग़ज़ल
'नासिर' हैं अजब बोलियाँ ताऊस-ए-ज़माँ की
अश्जार के पुर-ग़ोल कुलाग़ों में नहीं जो
नसीर अहमद नासिर
ग़ज़ल
जहाँ भर में हज़ारों बोलियाँ मीठी बहुत लेकिन
मिरी उर्दू ज़बाँ उन में नगीने सी चमकती है
शमशाद जलील शाद
ग़ज़ल
तिरे रुकने से प्यारे बस मिरा दम रुकने लगता है
नहीं तो बोलता तू बोलियाँ किन किन की सहता हूँ