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ग़ज़ल
इस लिए अश्क बहाता हूँ दम-ए-फ़िक्र-ए-सुख़न
कि हमेशा रहें दुनिया में ये जारी बातें
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
गर ज़बाँ होती तो पत्थर ही बताता सब को
किस क़दर टूटा है वो ख़ुद को बनाता हुआ घर
आदिल रज़ा मंसूरी
ग़ज़ल
जवाज़ अपना बनाता हूँ किसी नादीदा ख़ित्ते में
जहाँ मेरी ज़रूरत हो वहाँ अक्सर नहीं होता
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
तितलियाँ मेरे कमरे में उड़ती हुई झरना बहाता हुआ
इक परी-ज़ाद अपने वतन की कहानी सुनाती होई
इम्तियाज़ ख़ान
ग़ज़ल
कोई आँसू बहाता है कोई फ़रियाद करता है
ये दिल तुझ को भुला कर क्यों तुझे ही याद करता है
फ़िरोज़ अहमद
ग़ज़ल
ला-वारिस लाशों पर आख़िर कौन ही अश्क बहाता है
सब ने इक तस्वीर उतारी और बिसरा कर चले गए
मिताली राज तिवारी
ग़ज़ल
कभी वो ख़ूँ बहाता है कभी आँसू बहाता है
'अदावत की अदा में तर्ज़-ए-ग़म-ख़्वारी भी शामिल है
राहत हसन
ग़ज़ल
मेरे परों में मेरी ज़मीं बाँधने के बा'द
वो अपनी कहकशाँ में बुलाता रहा मुझे