aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "بے_حیا"
शोख़ कहता है बे-हया जानादेखो दुश्मन ने तुम को क्या जाना
कितने बेहिस हैं बे-हया हैं लोगसर-बसर जौर हैं जफ़ा हैं लोग
बरहम हैं वो ग़ैर बे-हया सेमाँगें कुछ और भी ख़ुदा से
मार दो मुझ को बे-हया हूँ मैंतेरे सीने को ताकता हूँ मैं
वो देखता है मुझ को मगर बे-हया नहींमैं देखने लगूँ तो मुझे देखता नहीं
ظاہر میں دوست دل میں ہے سب دشمنی کے کامہے روسیہ رقیب عجب بے حیا دو رنگ
इंसान है बे-हया कुछ ऐसाहैवाँ को हिजाब आ रहा है
ग़ैर ने इम्तिहान दे ही दियाबे-हया कामयाब हो ही गया
दरगुज़र कर रक़ीब सीं ऐ दिलबे-हया है रिजाला है दूँ है
बे-हया कहते हैं वो कहते रहेंख़ूब करती काम नारी रात दिन
ये तेरी बे-रुख़ी ये सरगिरानीजिए जाते हैं जो हम बे-हया हैं
ख़ुद-परस्ती हो जिस की फ़ितरत मेंवो तो बे-शर्म बे-हया होगा
बे-हया को कोई बात लगती नहींबात वाला ही मरता है बस बात से
नफ़्स-ए-नापाक बे-हया कुत्तेहम ने तुझ को हिला के देख लिया
हम शरीफ़-ज़ादे हैं बे-हया नहीं लेकिनसर छुपाएँगे कैसे मुख़्तसर रिदाओं में
ऐसे माशूक़ होते हैं कमयाबबा-वफ़ा भी वो बा-हया भी है
क़दम क़दम पे अजब बे-हया निगाहों काहिसार सा नज़र आया जिधर गए हम तुम
अगर बैठा है नासेह मुँह को सी बैठवगर्ना याँ से उठ ऐ बे-हया जा
हमारे सामने ये चोंचले रक़ीबों सेअब उन की बज़्म में जो आए बे-हया होगा
बदल रहा है मुसलसल मिज़ाज दुनिया काये बेवफ़ा थी मगर ऐसी बे-हया भी न थी
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