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ग़ज़ल
उन निगाहों के तसादुम से जो चिंगारी उठे
'इश्क़ उस का नाम है ये 'इश्क़ का मफ़्हूम है
तालिब बाग़पती
ग़ज़ल
जब तक कि मोहब्बत में दिल दिल से नहीं मिलता
नज़रों के तसादुम पर हम ग़ौर नहीं करते