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ग़ज़ल
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
अहमद फ़राज़
ग़ज़ल
उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे
जौन एलिया
ग़ज़ल
يہ موج پريشاں خاطر کو پيغام لب ساحل نے ديا
ہے دور وصال بحر بھي، تو دريا ميں گھبرا بھي گئي!
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
नतीजा क्यूँकर अच्छा हो न हो जब तक अमल अच्छा
नहीं बोया है तुख़्म अच्छा तो कब पाओगे फल अच्छा
इस्माइल मेरठी
ग़ज़ल
डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर
वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
इस हाल में जीते हो तो मर क्यूँ नहीं जाते
यूँ टूट चुके हो तो बिखर क्यूँ नहीं जाते