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ग़ज़ल
मैं सब को भूल गया ज़ख़्म-ए-मुंदमिल की मिसाल
मगर वो शख़्स कि हर बात जारेहाना करे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
ग़ज़ल
वो फ़ाख़्ता थी जिसे गोलियों ने भून दिया
ये क़त्ल सेहन-ए-गुलिस्ताँ में जारेहाना हुआ
पी पी श्रीवास्तव रिंद
ग़ज़ल
क्या ख़बर कब छीन ले मुझ से तिरे ग़म की असास
इन दिनों कुछ जारेहाना वक़्त का अंदाज़ है
नाज़िम सुल्तानपूरी
ग़ज़ल
यहाँ होना न होना है न होना ऐन होना है
जिसे होना हो कुछ ख़ाक-ए-दर-ए-जानाना हो जाए
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
मिरे ख़ाक ओ ख़ूँ से तू ने ये जहाँ किया है पैदा
सिला-ए-शाहिद क्या है तब-ओ-ताब-ए-जावेदाना
अल्लामा इक़बाल
ग़ज़ल
आँखों में दर्द-मंदी होंटों पे उज़्र-ख़्वाही
जानाना वार आई शाम-ए-फ़िराक़-ए-याराँ