aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "جاننا"
ख़ुद को जाना जुदा ज़माने सेआ गया था मिरे गुमान में क्या
क्या क्या न ख़ून थूका मैं उस गली में यारोसच जानना वहाँ तो जो फ़न था राएगाँ था
मुरव्वतों को मोहब्बत न जानना 'इरफ़ान'तुम अपने सीने से नोक-ए-सिनाँ न छू लेना
जान तुम पर निसार करता हूँमैं नहीं जानता दुआ क्या है
ता'दाद जानना है कि कितने मरे हैं आजजो चल नहीं सके हैं वो बम गिन रहा हूँ मैं
वो कहते हैं तुम मुझ से क्या चाहते होयही कुछ तो मैं जानना चाहता हूँ
दिल-नवाज़ी के फ़न जानना चाहिएहुस्न चाहे बहुत ख़ूबसूरत न हो
जो हाल जानना चाहो क़फ़स के पंछी कातो मिल के देख लो इक दिन असीर लोगों से
क्या काम है जानना है मुझ कोइक सिर्फ़ ये काम कर रहा हूँ
अगर कुछ रोज़ ज़िंदा रह के मर जाना मुक़द्दर हैतो इस दुनिया में आख़िर बाइस-ए-तख़्लीक़-ए-जाँ क्या था
बड़े काम की थी जो गुफ़्तुगू रही रू-ब-रूतू न जान, पर तुझे जानना मुझे आ गया
आसाँ नहीं है जानना इस शहर का मिज़ाजसौ बार देखिए उसे सौ बार जानिए
मैं अपने जब्र पर हैरान हूँ ख़ुदमुझे तो टूट जाना चाहिए था
'इश्क़ में जानना ज़रूरी हैक्या नहीं और क्या ज़रूरी है
ख़ुद को अकेला जान के तन्हा न जाननाये आइने नहीं हैं तिरे पहरे-दार हैं
सज़ा जिस की काटी है ता-उम्र मैं ने'शिखर' जानना वो ख़ता चाहती हूँ
क्यूँ 'तपिश' उलझनों में उलझा हैइस के बारे में जानना है मुझे
किस हाल जी रहा हूँ मैं चाहो जो जाननातो धूप में खड़े हुए पौदे को घूरना
दूसरों को समझने से पहलेख़ुद को ही जानना ज़रूरी है
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