aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "جانی_پہچانی"
ये जानी-पहचानी सोचेंकितनी हैं ज़हरीली सोचें
ये बस्ती जानी-पहचानी बहुत हैयहाँ वा'दों की अर्ज़ानी बहुत है
शक्ल सहरा की हमेशा जानी-पहचानी रहेमेरे आगे पीछे दाएँ बाएँ वीरानी रहे
कोई मिलने को न सूरत जानी-पहचानी बढ़ीशहर में रौनक़ हुई तो और वीरानी बढ़ी
दुनिया जानी-पहचानीहस्ती अपनी अनजानी
गूँज रही है सन्नाटे मेंएक सदा जानी पहचानी
ढूँढती है निगाह भगदड़ मेंकोई सूरत हो जानी-पहचानी
एक ख़ुश्बू है जानी पहचानीइस ख़राबे में कौन रहता है
तुम्हारी गुफ़्तुगू से लग रहा हैहै ख़ुशबू जानी-पहचानी हमारी
आज दरवाज़ों पे दस्तक जानी पहचानी सी हैआज मेरे नाम लाता है मिरी ताज़ीर कौन
मुद्दत बा'द कहीं सन्नाटा बोला हैये आहट कितनी जानी-पहचानी है
बदलता है कोई सौ रूप बदलेवो सूरत जानी पहचानी बहुत है
ये कोई जानी-पहचानी जगह हैअचानक चलते चलते रुक गया हूँ
देखे-भाले रास्ते ग़म के तमामदिल की गलियाँ जानी-पहचानी बहुत
क्या बताऊँ मुझे वो कैसा लगाजानी-पहचानी बे-रुख़ी के बग़ैर
मौसम दरिया जंगल सहरा गाँव 'शकील'सब की सिफ़त जानी पहचानी होती है
फ़ुर्सत के लम्हों में हम अक्सर ऐ 'रिंद'तहरीरें जानी पहचानी पढ़ते हैं
रोज़ बदल कर चेहरे क्यूँ दिखलाता हैतेरी हर सूरत जानी-पहचानी है
हर किसी को 'इल्म है 'आबिद-वदूद'बातें उस की जानी-पहचानी बहुत
जानी-पहचानी सी आहट लगती हैदिल के वीराने में कोई आया क्या
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