aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ججچ"
मसनद-ए-ग़म पे जच रहा हूँ मैंअपना सीना खुरच रहा हूँ मैं
जो निगाहों में समा जाए वो सूरत अच्छीजो ख़रीदार को जच जाए वो माल अच्छा है
न मेरी चश्म-ए-तमन्ना में जच सकी दुनियापलट के देखता कैसे उसे मैं जाते हुए
रंगों में वही तो रंग निकलाजो तेरी नज़र में जच गया हो
हमारा आँसू वो बे-बहा है निगाह-ए-हसरत में जच रहा हैमँगा के अब उस पे चौरहे में निसार करने गुहर को चलिए
पहली नज़र में ही मिरी नस-नस में रच गयाक्या जाने उस का कौन सा अंदाज़ जच गया
कम नुमा रहता है तू हम से हिलाल-ए-ईद साजच गई दिल में तिरी अबरू नज़र आने में धूम
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