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ग़ज़ल
वो जब बिछड़े थे हम तो याद है गर्मी की छुट्टीयाँ थीं
तभी से माह जुलाई मुझे अच्छा नहीं लगता
आमिर अमीर
ग़ज़ल
सुलगती दोपहर को भी जो बारिश में भिगोता है
वो जलते जून से दिल को जुलाई क्यों नहीं देता
कविता किरण
ग़ज़ल
हाँ ये अप्रैल है बस आग ही बरसाओ अभी
खिलती कलियों की तरह बोलिए जुलाई में