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ग़ज़ल
भूत ख़बीस नाज़नीं गुल परी बला कहूँ
दिल-लगी अच्छी ये नहीं मुझ से हँसा तू कौन है
वाजिद अली शाह अख़्तर
ग़ज़ल
ख़ुब्स-ए-दरूँ दिखा दिया हर दहन-ए-ग़लीज़ ने
कुछ न कहा 'हफ़ीज़' ने हँस दिया मुस्कुरा दिया
हफ़ीज़ जालंधरी
ग़ज़ल
तू ख़बीर भी है कामिल तू अलीम भी है मुतलक़
तिरे सामने कहूँ क्या मैं कहाँ कहाँ से गुज़रा