आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "خفاش"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "خفاش"
ग़ज़ल
जुज़ ज़ुल्फ़ सूझता नहीं ऐ मुर्ग़-ए-दिल तुझे
ख़ुफ़्फ़ाश तू नहीं है कि ज़ुल्मत-परस्त है
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
ग़ज़ल
याद में तेरी रक़ीब-ए-रू-सियह जागा तो क्या
मर्तबा आली न हो ख़ुफ़्फ़ाश-ए-शब-बेदार का
हैदर अली आतिश
ग़ज़ल
मुर्ग़-ए-ज़र्रीन-ए-फ़लक पर है यक़ीन-ए-ख़ुफ़्फ़ाश
किस क़दर मेरे दिनों में हुईं सारी रातें
इमाम बख़्श नासिख़
ग़ज़ल
अलीमुल्लाह
ग़ज़ल
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
जिगर मुरादाबादी
ग़ज़ल
अहमद सलमान
ग़ज़ल
यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
ख़ीरा-सरान-ए-शौक़ का कोई नहीं है जुम्बा-दार
शहर में इस गिरोह ने किस को ख़फ़ा नहीं किया
जौन एलिया
ग़ज़ल
जावेद अख़्तर
ग़ज़ल
लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना
मगर फिर ख़ुद-ब-ख़ुद वो आप का गुलनार हो जाना
मुनव्वर राना
ग़ज़ल
फ़रिश्तों से भी अच्छा मैं बुरा होने से पहले था
वो मुझ से इंतिहाई ख़ुश ख़फ़ा होने से पहले था
अनवर शऊर
ग़ज़ल
अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं
एक हम ही नहीं दुनिया से ख़फ़ा और भी हैं