आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "خود_غرض"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "خود_غرض"
ग़ज़ल
है कितनी ख़ुद-ग़रज़ मक्कार दुनिया हम ने देखा है
ख़ुद अपनी ही तबाही का तमाशा हम ने देखा है
Meem Sheen Najmi
ग़ज़ल
ख़ुद-ग़र्ज़ हो के अपनों के ग़म-ख़्वार ही रहो
इस पार आ गए हो तो इस पार ही रहो
अब्दुल्लाह मिन्हाज ख़ान
ग़ज़ल
ख़ुद-सर था ख़ुद-ग़रज़ भी था वो बदमिज़ाज भी
ठुकरा चुका है इस लिए उस को समाज भी