aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "دائرہ"
दायरा-वार ही तो हैं इश्क़ के रास्ते तमामराह बदल रहे हैं आप आप बहुत अजीब हैं
ज़िंदगी हर ज़ाविए से देखता हूँ मैं तुझेहै मिरी फ़िक्र-ओ-नज़र का दायरा फैला हुआ
एक ग़ुबार है कि है दायरा-वार पुर-फ़िशाँक़ाफ़िला-हा-ए-कहकशाँ तंग हैं वहशतों में हैं
तू न रुस्वा हो इस लिए हम नेअपनी चाहत पे दायरा रक्खा
ख़ुद को पहचान इधर उधर न भटकअपने मरकज़ पे दायरा हो जा
यक़ीं का दाएरा देखा है किस नेगुमाँ के दाएरे में क्या नहीं है
रोज़-ओ-शब मैं घूमता हूँ वक़्त की पुर-कार परअपने चारों सम्त कोई दायरा रखता हूँ मैं
एक वहशत दायरा-दर-दायरा फिरती रहीएक सहरा सिलसिला-दर-सिलसिला रौशन हुआ
शहद-शिकन होंटों की लर्ज़िश 'इशरत बाक़ी का गहवारादायरा-ए-इम्कान-ए-तमन्ना नर्म लचकती बाँहों के ख़म
ये मुस्ततील सा ख़ाका कि जिस को घर कहिएउसी के दाएरा ओ दर में मेरी जन्नत है
दुनिया ये घूमती रहे परकार की तरहइक दाएरा ज़मीं पे बनाना पड़ा मुझे
दाएरा दर दाएरा पानी का रक़्स जावेदाँआँख की पुतली को दरिया के भँवर अच्छे लगे
हल्क़ा की नाफ़-ए-यार के ता'रीफ़ क्या करूँगोल ऐसा दायरा नहीं परकार ने किया
क़दीम कर गई ख़्वाहिश जदीद होने कीकिसे ख़बर थी यहाँ तक वो दायरा होगा
बना के दाएरा यादें सिमट के बैठ गईंब-वक़्त-ए-शाम जो दिल का अलाव जलने लगा
दायरा खींच के बैठा हूँ बड़ी मुद्दत सेख़ुद से निकलूँ तो किसी और का रस्ता देखूँ
कार-गह-ए-बक़ा मुझे ज़ात-ओ-हयात-ओ-काएनातज़ात-ओ-हयात-ओ-काएनात दायरा-ए-फ़ना मुझे
तू ही मरकज़ है मेरी ज़िंदगी कातिरे अतराफ़ मिस्ल-ए-दायरा हूँ
एक परकार के सिमटते हीफैल जाता है दायरा मेरा
चराग़ हूँ मुझे जब धूप रास आ न सकीतो ख़ुद सिकोड़ लिया अपना दायरा मैं ने
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books