आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "دل_خوددار"
ग़ज़ल के संबंधित परिणाम "دل_خوددار"
ग़ज़ल
हज़ारों उलझनें है इस दिल-ए-ख़ुद्दार के आगे
मगर ये हार जाता है तिरे इसरार के आगे
राजकुमार कोरी राज़
ग़ज़ल
हमदर्दी-ए-हमदम भी गवारा नहीं होती
मुझ को तो 'जुनूँ' इस दिल-ए-ख़ुद्दार ने मारा
नज़ीर हुसैन सिद्दीक़ी
ग़ज़ल
जहाँ सच बात कहने का हो मतलब जान से जाना
उसी महफ़िल में बस अपना दिल-ए-ख़ुद्दार बोलेगा
शायान क़ुरैशी
ग़ज़ल
न पूछो क्या गुज़रती है दिल-ए-ख़ुद्दार पर अक्सर
किसी बे-मेहर को जब मेहरबाँ कहना ही पड़ता है
जगन्नाथ आज़ाद
ग़ज़ल
तुम अपने जल्वा-ए-नौख़ेज़ पर यूँ नाज़ करते हो
अगर मेरा दिल-ए-ख़ुद्दार भी मग़रूर हो जाए
जौहर ज़ाहिरी
ग़ज़ल
हम जो उस बज़्म को ठुकरा के चले आए हैं
हम पे नाज़ाँ दिल-ए-ख़ुद्दार हुआ है क्या क्या