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ग़ज़ल
फ़ना बुलंदशहरी
ग़ज़ल
वफ़ा का यूँ तो दम भरते हैं इस दुनिया में सब लेकिन
वफ़ा के नाम पर मिट कर दिखाना किस को आता है
शकील बदायूनी
ग़ज़ल
मुझे ऐ नाख़ुदा आख़िर किसी को मुँह दिखाना है
बहाना कर के तन्हा पार उतर जाना नहीं आता