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ग़ज़ल
गो दे सके न सोज़-ए-दरूँ का हमारे साथ
ये दीदा-हा-ए-ख़ुश्क भी नमनाक थे कभी
अकबर अली खान अर्शी जादह
ग़ज़ल
सरिश्क-ए-चश्म से नाले रवाँ होते नहीं देखे
कहे कौन इस को रोना दीदा-हा-ए-तर बरसते हैं
सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम
ग़ज़ल
जो शब-ए-फ़ुर्क़त गिरेगी दीदा-हाय-शौक़ से
वो लहू की बूँद बहर-ए-बे-कराँ हो जाएगी
मसूद मैकश मुरादाबादी
ग़ज़ल
नुसरत लखनवी
ग़ज़ल
पानी पानी हो गया जोश अब्र-ए-दरिया-बार का
देख कर तूफ़ाँ हमारे दीदा-हा-ए-ज़ार का
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
तस्वीर-ए-हुज़्न-ओ-यास बना कर चले गए
लब-हा-ए-ख़ुश्क ओ दीदा-ए-तर दे गए मुझे
अलीम अख़्तर मुज़फ़्फ़र नगरी
ग़ज़ल
अश्क-ए-दीदा तो हुए ख़ुश्क 'जमीला' कह दो
ख़िज़्र तुम आए तो क्या चश्मा-ए-हैवाँ न रहा