aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अल्लाह तिरा हुस्न करे और ज़ियादाहम राह-नशीनों से मुलाक़ात किए जा
पश्मीना-पोश राह-नशीनों की इल्तिजाशायद कभी वो शाहिद-ए-अतलस-क़बा सुने
तेरी अदा से हो न सका जिस का फ़ैसलावो ज़िंदगी का राज़ निशानों ने ले लिया
डरता रहता हूँ हम-नशीनों मेंएक पत्थर हूँ आबगीनों में
डरा के मौज-ओ-तलातुम से हम-नशीनों कोयही तो हैं जो डुबोया किए सफ़ीनों को
डरा के मौज ओ तलातुम से हम-नशीनों कोयही तो हैं जो डुबोया किए सफ़ीनों को
रात को मय-कदा-नशीनों मेंदिन को का'बे का पासबाँ हूँ मैं
बचाओ दामन-ए-दिल ऐसे हम-नशीनों सेमिला के हाथ जो डसते हैं आस्तीनों से
हम ऐसे ख़ाक-नशीनों की बात किस ने कीअगरचे तज़्करा-ए-कहकशाँ तो होता रहा
तिरे आने की मुझे चाह पियादिल-ओ-जाँ है चश्म-ब-राह पिया
माँगे है इक सितारा सर-ए-आसमान फिरदिल को ये ज़िद कि सू-ए-उफ़ुक़ हो उड़ान फिर
गर्द-ए-सफ़र में राह ने देखा नहीं मुझेइक उम्र महर ओ माह ने देखा नहीं मुझे
ग़म के बे-नूर मज़ारों का गला घोंट आयासारे बे-मेहर सहारों का गला घोंट आया
सुकूत-ए-अस्र में गूँजी हुई अज़ान हूँ मैंबहुत से गिरती नशीनों के दरमियान हूँ मैं
ध्यान तक न दिया मेरे हम-नशीनों नेमैं गूँजता रहा सहरा में इक सदा की तरह
अपनों के करम से गर तू दूर रहा होताएहसान के शो'लों से दामन न जला होता
हर शाम दिलाती है उसे याद हमारीइतनी तो हवा करती है इमदाद हमारी
महबूब सा अंदाज़-ए-बयाँ बे-अदबी हैमंसूर इसी जुर्म में गर्दन-ज़दनी है
छोड़ कर आँखें जबीनों की तरफ़ चलने लगेख़्वाब अश्कों से पसीनों की तरफ़ चलने लगे
सदा है फ़िक्र-ए-तरक़्क़ी बुलंद-बीनों कोहम आसमान से लाए हैं इन ज़मीनों को
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